प्रयागराज: ‘शिक्षा वो शेरनी का दूध है, जो पीयेगा वो दहाड़ेगा’… बाबा भीमराव अंबेडकर का यह कथन प्रयागराज के वायरल हो रहे एक बच्ची के वीडियो को चरितार्थ करता है। मामले को समझने के लिए हमें चार साल पीछे जाना होगा। यही नहीं प्रयागराज के इस चार साल पुराने वीडियो ने देश की सर्वोच्च न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट को अंदर तक हिला दिया। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया।

मामला करीब चार साल पुराना है। मार्च 2021 में प्रयागराज के लूकरगंज क्षेत्र के नजूल प्लॉट नंबर-19 में बने मकानों पर बुलडोजर कार्रवाई हुई थी। प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इन मकानों को अवैध बताते हुए ढहा दिया था। याचिकाकर्ता में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जज साहब शनिवार शाम को नोटिस दिया गया और अगले दिन रविवार सुबह घरों को बुलडोजर से ढहा दिया गया।

सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। कोर्ट ने प्रत्येक घर मालिक को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा प्रभावितों को देने के साथ भविष्य में सरकार के इस तरह के मनमाने फैसले रोकने के लिए भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने वायरल वीडियो का जिक्र करते हुए कहा कि इस कार्रवाई ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया जैसी कोई चीज होती है। कोर्ट ने इसे समाज में गलत संदेश देने वाला भी कहा।

क्या है वीडियो

बता दें कि मार्च 2021 में प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारी बुलडोजर लेकर घरों को गिराने पहुंचे थे। जब बुलडोजर घरों को ढहा रहा था, तभी एक बच्ची अपनी जान की परवाह किए बिना घरों में रखी अपनी किताबों को दौड़कर लाते हुए दिखाई दे रही है। यह वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। जो हर इंसान को अंदर तक झकझोर दे रहा है। अब सोशल मीडिया में जमकर शेयर किया जा रहा है, जिससे सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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